मेवाड़ की पावनतम धरा रानी स्टेशन भूमि वीरों की शूरों की दान वीरों की भूमि रही है ! देश के विशिष्ट – विशिष्ट महापुरुषों ने इस धरती को अपनी दिव्य तेज रश्मियों से पुनीत कर धर्म मार्ग प्रशस्त किया है ! 1978 में पूज्य गुरुदेव वीरव्रती श्री प्रबल जी महाराज ने जन जागृति कर अतिरूद्र महायज्ञ का विशाल आयोजन किया, जिसमें धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज एवं गोवर्धन पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निरंजन देव तीर्थ, स्वामी शंकारानंद विरक्त – प्रवृत्ति महापुरुष विश्व का कल्याण हो ! इस पवित्र संकल्प को पूर्ण करने हेतु पधारे। यज्ञ की धूम व् महापुरुषों की ओजमयी वाणी श्रवण कर पूरा जग खिल उठा ! धर्म की जयकार होने लगी ! सर्वत्र दिनदार ईमानदार प. राजा राम जी के राधा कृष्ण मंदिर को अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ को वेद वेदांग का अध्ययन व वर्णाश्रम मर्यादानुरूप भगवान की सेवा होती रहे, इस पवित्र भाव से शास्त्री स्वर्गीय श्री अचला जी लोहार को समर्पित किया है। गौशाला हेतु अंसी वाई पत्नी ने 12 बीघा भूमि को महाराज श्री को गौशाला हेतु दान देकर अपने माता-पिता की इच्छा को पूर्ण किया है !