सिद्धों, सन्तों, महापुरुषों का अत्यंत पावनमय क्षेत्र गंगा किनारे बसा हुआ है।अज्ञान तिमिर को ध्वांत करने वाले सकल ऋषिगण संत रूप में स्वामी जीवनदत्त जी महाराज,स्वामी विश्वेशराश्रम जी महाराज,स्वामी करपात्री जी महाराज,स्वामी अखंडानंद जी महाराज प्रभृति महापुरुषों ने इसी स्थान का चयन किया तप के लिए।
इन्ही सबके बीच परम् भागवत सन्त शिरोमणि वेद वेदांग विशारद अनंतश्री स्वामी विष्णु आश्रम जी महाराज हुए।
जिनकी तपश्चर्या का प्रभाव परोक्ष रूप में भी दिखलाई पड़ रहा है।वेद विद्यालय,गोशाला,अन्नक्षेत्र, दंडी सन्यासियों की सेवा सुश्रुषा प्रेम भावसे हो रही है।
अनवरत रूप में महापुरुषों का आगमन होता रहता है।हजारों विद्वान स्वाध्याय कर देश की विभिन्न सेवाओ में भी कार्यरत है।।
वर्तमान में परम् श्रद्धेय अनंतश्री स्वामी प्रबोधाश्रम जी महाराज अध्यक्ष पद पर सुशोभित है।
आपश्रीके संरक्षण में विप्र बटुक वेदों का स्वाध्याय,शास्त्रों का ज्ञान सम्पादित कर देशको सामर्थ्यशाली बनाने में आध्यात्मिक सहयोग कर रहे है।
महाराजश्री को संस्थाओ के कार्य को नमन करते हुए स्वामी विष्णु आश्रम जी महाराज की जय करते है।