हरियाणा प्रदेश का गौरवशाली, गंगा-यमुना-सरस्वती के पावन तट पर, हिमालय की गोद में आदिबद्री की छाया में अमादलपुर यमुनानगर में प्राचीन सिद्धसूर्यकुंडमंदिर स्थित है। पौराणिक कथाओं से ओतप्रोत ये दिव्यस्थल आज भी अपनी पावनसुगंध से जगत को पुनीत कर रहा है। माँ द्रोपदी के तप से अक्षयपात्र प्राप्ति का स्थान, यक्षराज व धर्मराज युधिष्ठिर का संवाद, कालिंदी नमक कन्या का भगवान श्रीकृष्ण से पाणिग्रहण, इसी पुनितस्थली से जुड़ा हुआ है।
वर्त्तमान परिप्रेक्ष्यमे भी चर्मविकारजन्यदोष, सूखारोग, व असाध्यरोगों का निदान सूर्यकुण्ड में ५ रविवार स्नान करने से निवृत्त हो जाता है।
सकल गृहदोषों की निवृत्ति भगवान सूर्य की उपासना से निवृत्त हो जाती है। सूर्यग्रहण- चंद्रग्रहण के अवसर पर साधकजन साधना हेतु पधारकर अपूर्वपुण्यराशि का संचय कर जन्मान्तरीय कालुष्य का शमन करते है।

विशेषताएं-
२५ वर्षों से अखण्ड़श्रीरामचरितमानस।
४० वर्षों से यज्ञ व गौसेवा व अन्नक्षेत्र संचालित है।
– रोग-शोक निवृति हेतु सूर्यकुण्ड की ७ परिक्रमा रविवार को अवश्य करें। भगवान सूर्य की उपासना व दर्शन करें।

फाउंडेशन द्वारा संचालित सेवा प्रकल्प
सूर्यकुण्ड गौशाला
अखंडमानस पाठ
यज्ञ
अन्नक्षेत्र
१६ संस्कार प्रशिक्षण
सूर्यकुण्ड वेदविद्यापीठम
पथरी रोग हेतु औषधि वितरण
अध्यात्म प्रवचन
संकीर्तन