काल की गति अत्यंत ही विचित्र मानी जाती है तथा यह भी कटु सत्य है कि इसकी गति से कोई बच नहीं सकता। संपूर्ण चराचर प्राणी वायु का सेवन करते हैं, वह वायु जैसी होगी, वैसा परिणाम हमको भोगना होगा। इस विषम प्रदूषित पर्यावरण में प्रसन्न चित्त, स्वस्थ बनने हेतु व आध्यात्मिक सुख शांति प्राप्त करने हेतु हमको नवग्रह वाटिका की आवश्यकता है। आज का प्रत्येक प्राणी तन – मन – धन – सब से दुखी है। दुःख हमारे द्वारा किए गए कर्मों का ही परिणाम है। दुख की आत्यन्तिक निवृत्ति कैसे हो? हम स्वस्थचित्त होकर कैसे अपने को निरोगी रख सके। इसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने तत्व का विचार करते हुए कहा गति भी काल के अधीन है। अतः वह काल क्या है? काल का अभिप्राय संचरण होता है। जब व्यक्ति – तन- मन- धन तीनो से अत्यंत दुःखित हो जाता है, तब कहां जाए, कहां बैठे, खोजता है उस स्थान को, उस महापुरुष को, जिसके पास जाने पर सुख व शांति का अहसास होता है।
हम खा जहर रहे हैं, पी विष रहे हैं तो क्यों हम बीमार ना हो। हमारे जीवन में समस्याएं आती रहती है, इनका निदान क्या है।उत्थान व पतन का काल जब प्राणी को प्रभावित करता है, तब उसका चेहरा, उसकी श्वांसे उसकी क्रियाएं विचित्र होती जाती है। दैवज्ञ (ज्योतिषी) उसको नवग्रह की विचित्र लीला बोलते हैं। ग्रहों का प्रभाव बोलते हैं। ग्रहों के कारण यह स्थिति हुई ऐसा बोलते हैं। आइए हम उन नवग्रहों को कैसे प्रसन्न करें। उनको मनाएं तथा प्रसन्न चित्त होकर विषम परिस्थितियों में भी सुख व आनंद प्राप्त करें, इसके लिए आवश्यकता है नवग्रह वाटिका की। जैसे किसी व्यक्ति पर मंगल की प्रतिकूल दशा चल रही है, फल है चोट लगना आदि। ऐसी स्थिति में हम नवग्रह वाटिका में आये, आकर भोमग्रह के खैर (खदिर) वृक्ष के नीचे बैठकर भौमग्रह का जप करें। उसी की समिधा से होम करें। तब हमारा अनिष्ट भी इष्ट में परिवर्तित होगा। क्योंकि हमारे ऊपर प्रतिकूल ग्रह की दशा चल रही है, जिससे हम बच नहीं सकते हैं। ऐसे समय में अनुकूल एंटीबायोटिक का कार्य खदिर वृक्ष करेगा। हम उसकी जड़ में बैठकर एक ऐसी ऊर्जा प्राप्त करेंगे, जो हमारी प्रतिकूलता को समाप्त कर स्वस्थचित केवल बैठने मात्र से कर देगा। उसके उपरांत हम यदि जप – तप होम संपूर्ण विधि को अपनाते हैं, तब 100 % रिजल्ट प्राप्त होगा। आज के समय में इस प्रकार नवग्रहों को शांत करने व जप करने तथा उसकी समिधा से होम आदि कार्य संपन्न नहीं हो पा रहे हैं। अब हमको इस दिव्य आश्रम में सनातन जीवों के (भक्तों के) सनातन कल्याण के लिए एक नवग्रह वाटिका निर्माणाधीन है। जिसमें बैठकर हम अपने काया और माया के संकटों को निवृत्त कर सुख व आनंद प्राप्त कर सके।